एक मेंढक की प्रेरक कहानी – दोस्तों एक जंगल में कई सारे मेंढक रहा करते थे। वे सारा दिन जंगल में घूमते फिरते आपस में बाते करते और मस्ती किया करते थे। एक दिन सारे मेंढक जंगल में घूम रहे थे और अपने ठिकाने की तरफ जा रहे थे, जब वे अपने घर की तरफ जा रहे थे उसी समय उनमे से दो मेंढक एक काफी बड़े गड्ढे में गिर जाते है उन्हें गड्ढे में गिरा देख बाकी मेंढक भी गड्ढे के पास आ जाते है और सारे मेंढक गड्ढे में गिरे हुए दोनों मेंढको से कहने लगते है की यह गड्ढा बहुत गहरा है तुम्हारा इसमें से निकलना असंभव है तुम दोनों इसमे से अब नही निकल पाओगे। काफी कोशिश करने के बाद उनमे से एक मेंढक ने गड्ढे के बाहर खड़े मेंढको की बातो को सुन कर कोशिश करना छोड़ दिया और हार मान ली।

एक मेंढक की कहानी
लेकिन दुसरे मेंढक ने लगातार कोशिश जारी रखी और कुछ समय बाद वह गड्ढे से बाहर निकल गया और बाहर निकलते ही उसने बाकी मेंढको से उसका उत्साह बढ़ने के लिए धन्यवाद कहा। यह सुनकर बाकी मेंढकों को काफी आश्चर्य होता हैं और तभी उन्हें यह पता चल जाता है की वह मेंढक तो सुन ही नहीं सकता था वह बहरा था।
जिस समय दूसरा मेंढक बाहर निकलने कोशिश कर रहा था, तब उसे लग रहा था की गड्ढे की बाहर खड़े मेंढक उसे बहार निकलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है और उसका प्रोत्साहन बढ़ा रहे है इसलिए उसने हार माने बिना प्रयास जारी रखा जिसके कारन वह बहार निकल सका। और दूसरे मेंढक ने बाकी मेंढको की बातों को सुनकर प्रयास करना ही छोड़ दिया जिसके कारण वह बाहर ही नही निकल सका।
दोस्तों जिन्दगी में हमे भी इसी तरह सफलता के रास्ते में चलते वक्त लोगो के तानो को प्रोत्साहन समझते हुए लगातार आगे बढ़ते रहना है। अक्सर सफलता के रास्ते में चलते वक्त लोगो के नकारात्मक विचारो और उनके तानो के कारन हम अपना मनोबल खो देते है जिसके कारन हम पूरी कोशिश किये बिना ही हम हार मान लेते है और पीछे रह जाते है अगर दुसरे मेंढक ने भी पहले मेंढक के तरह बाकियों की बातो को सुनकर कोशिश नहीं की होती तो वह भी उस्सी गड्ढे में रह जाता और कभी बहार नहीं निकल पाता।
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